Day 26 - अनुच्छेद लेखन || Anuched Lekhan || Paragraph Writing in Hindi

अनुच्छेद लेखन (Paragraph Writing)

 अनुच्छेद लिखते समय नीचे दी गई बातों का ध्यान होना बेहद ज़रूरी है, जैसे-
  • अनुच्छेद लिखने से पहले रूपरेखा, संकेत-बिंदु आदि बनानी चाहिए।
  • अनुच्छेद में विषय के किसी एक ही पक्ष का वर्णन करें।
  • भाषा सरल, स्पष्ट और प्रभावशाली होनी चाहिए।
  • एक ही बात को बार-बार न दोहराएँ।
  • अनावश्यक विस्तार से बचें, लेकिन विषय से न भटकें।
  • अनुच्छेद लिखते समय शब्द-सीमा को ध्यान में रखना चाहिए।
  • पूरे अनुच्छेद में एकरूपता होनी अत्यंत आवश्यक है।
  • विषय से संबंधित सूक्ति अथवा कविता की पंक्तियों का प्रयोग भी कर सकते हैं।
अभ्यास का महत्त्व

अगर किसी भी चीज का निरंतर अभ्यास किया जाए, तो किसी भी मुश्किल काम को आसानी से किया जा सकता है। भगवान ने हम सभी को ऐसी बु‌द्धि दी जिसका इस्तेमाल कर हम कुछ भी नया और कुछ ऐसा विकसित कर सकते हैं।

"करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान। रसरि आवत जात तें, सिल पर परत निसान।।"यानी जिस प्रकार रस्सी की रगड़ से कठोर पत्थर पर भी निशान बन जाते हैं, उसी प्रकार निरंतर अभ्यास से मूर्ख व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। यदि विद्यार्थी प्रत्येक विषय का निरंतर अभ्यास करें, तो उन्हें कोई भी विषय कठिन नहीं लगेगा और वे सरलता से उस विषय में कुशलता प्राप्त कर सकेंगे।

समय के महत्व
 
समय का हमारे जीवन में बहुत ही महत्तव है। हर कार्य करने का एक निश्चित समय होता है। अगर समय एक बार चला जाए तो वापिस नहीं आता। समय किसी का इंतजार नहीं करता वह बहत ही तेजी से चलता है। जिस व्यक्ति को समय की कदर नही हौती वह हमेशा जिंदगी में पीछे रह जाता है। समय की कीमत उस व्यक्ति से पुछो जिसके साथ दुर्घटना होने से वो एक सैकंड से बचा हो। समय का पक्का मानव हर किसी को अच्छा लगता है। हम सभी को समय का महत्तव समझना चाहिए और सभी काम समय पर करने चाहिए।

आदर्श विद्यार्थी
 
विद्यार्थी का अर्थ है-विद्या पाने वाला। विद्यार्थी का सबसे पहला गुण है जिज्ञासा। वह नए-नए विषयों के बारे में नित नई जानकारी चाहता है। वह केवल पुस्तकों और अध्यापकों के भरोसे ही नहीं रहता, अपितु स्वयं मेहनत करके ज्ञान प्राप्त करता है। सच्चा छात्र श्रदधावान होता है। सच्चा छात्र कठोर जीवन जीकर तपस्या का आनंद प्राप्त करता है।

आदर्श छात्र अपनी निश्चित दिनचर्या बनाता है और उसका कठोरता से पालन करता है। वह अपनी पढ़ाई, खेल-कूद, व्यायाम, मनोरंजन तथा अन्य गतिविधियों में तालमेल बैठाता है। आदर्श छात्र फैशन और ग्लैमर की दुनिया से दूर रहता है। वह सादा जीवन जीता है और उच्च विचार मन में धारण करता है। वह केवल पाठ्यक्रम तक ही सीमित नहीं रहता । वह विद्यालय में होने वाली अन्य गतिविधियों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है। गाना, अभिनय, एन.सी.सी., स्काउट, खेलकूद, भाषण आदि में से किसी न किसी में वह अवश्य भाग लेता है